अनु आज बहुत खुश है क्योंकि उसके पापा दो सप्ताह के बाद वापस घर आ रहे हैं। अनु इसलिए भी खुश है कि जब भी उसके पापा अपने सफर से वापस आते हैं तो उसे अपनी दादी के साथ सोने का मौका मिलता है। ऐसे खास मौकों पर उसे दादी से कई रोचक कहानियाँ सुनने को मिलती हैं। उसकी दादी तो जैसे कहानियों का खजाना हों: रोमांच, परी कथाएँ, जादू टोना, भूत की कहानी, इंसानों की बोली में बात करने वाले जानवरों की कहानी और न जाने क्या क्या। अनु को भूतों की कहानी सुनने में सबसे ज्यादा मजा आता है और मजे की बात ये है कि भूतों की कहानी सुनकर उसे जरा भी डर नहीं लगता बल्कि वह तो ठहाके मार कर हँसने लगती है। अनु के पापा जिनका नाम रजत मेहरा है, अक्सर अपनी नौकरी के सिलसिले में कई दिनों तक लगातार अपने शहर से बाहर घूमते रहते हैं। अनु को ऐसे दिनों में अपने पापा की कमी बहुत खलती है लेकिन जब उसके पापा वापस आते हैं तो अपनी भरसक कोशिश करते हैं कि अनु को शिकायत का मौका ना मिले। साथ में वह अनु की मम्मी और उसकी दादी का भी पूरा खयाल रखते हैं।
अनु अपनी पहली मंजिल की बालकनी से नीचे निहार रही है। दादी एक चटाई पर लेटी हुई हैं और अपनी हड्डियों को भरपूर मात्रा में विटामिन डी पहुँचाने के मकसद से धूप सेंक रही हैं। जब अनु के घर के पास एक कैब रुकती है तो अनु खुशी से उछलने लगती है और तालियाँ बजाने लगती है क्योंकि कैब के अंदर की धुंधली आकृति से भी वह अपने पापा को पहचान जाती है। रजत कैब से उतरता है, अपना सामान उतारता है और गर्दन उठाकर अपनी प्यारी बिटिया को देखकर हाथ हिलाता है। घर के अंदर आते ही रजत अपनी प्यारी बेटी को गोद में उठा लेता है और अनु उसपर अपनी लाख टके की मुसकान बिखेर देती है।
जब रजत बाथरूम में होता है तभी अनु की मम्मी सूटकेस खोलती है और अनु के लिए लाये गये सारे उपहार निकाल देती है। सबसे पहले एक सुंदर गुड़िया निकलती है जिसने बैंगनी फूलों के प्रिंट वाली एक गुलाबी फ्रॉक पहन रखी है। एक चमचमाती जिल्द वाली किताब है जिसमें जानवरों की रंग बिरंगी पेंटिंग बनी है। उस किताब के हर पन्ने पर एक दो लाइनें ही लिखी हुई हैं और अधिकतर जगह तस्वीर से भरी हुई है। साथ में बोनस के रूप में चॉकलेट का एक बड़ा सा बार भी है। अनु अपनी दादी की गोद में लेट जाती है। उसने एक हाथ से गुड़िया को पकड़ रखा है और दूसरे हाथ से वह उस किताब की तस्वीरों को निहार रही है। जब वह किताब से ऊब जाएगी तो चॉकलेट का मजा लेगी।
नाश्ते में अनु की मम्मी ने ओटमील बनाया है जिसमें ढ़ेर सारी हरी सब्जियाँ पड़ी हैं। घर के वयस्कों को उस सेहतमंद नाश्ते से कोई परहेज नहीं है, लेकिन अनु के लिए स्ट्रॉबेरी जाम से लिपटा शहद और केले का सैंडविच और साथ में गरमागरम चॉकलेट ड्रिंक है। अनु की मम्मी, पूर्णिमा ने नुक्कड़ वाले कसाई को मुर्गे का ऑर्डर दे दिया है ताकि लंच के लिए बिरयानी बन सके। नाश्ता करते समय यह तय हो गया कि शाम में सब लोग नजदीक के शॉपिंग मॉल में घूमने जायेंगे। दिवाली के बाद से ही ठंड बढ़ गई है इसलिए रजाई और कम्बल खरीदने की योजना बनी है।
नाश्ते के बाद पूरा परिवार धूप सेंकते हुए शनिवार की छुट्टी का लुत्फ उठा रहा है। पूर्णिमा बिना रुके रजत से बातें कर रही है और रजत बड़े धैर्य से एक भी शब्द बोले बिना उसकी बातें सुन रहा है। बीच बीच में दादी की भी एक्स्पर्ट कॉमेंट्री चल रही है। थोड़ी देर में धूप और अपने पापा की गोद की गर्मी के मिले जुले असर के कारण अनु को नींद आ जाती है।
शाम होते ही मेहरा परिवार शॉपिंग मॉल जाने के लिए तैयार हो जाता है। दादी ने जाने से मना कर दिया है क्योंकि वह कोरोना से बचने के लिए हर संभव सावधानी बरतना चाहती हैं। इसलिए दादी को बाय-बाय करके बाकी तीन लोग कार में बैठते हैं और घूमने निकल पड़ते हैं। कोई आधे घंटे की ड्राइव के बाद वे लोग पार्क टाउन नामक मॉल में पहुँचते हैं। यह नाम थोड़ा अजीब है क्योंकि आसपास में कोई पार्क नहीं है। आप कुछ बढ़े हुए अजीबोगरीब पेड़ जरूर देख सकते हैं जिन्हें इस तरह के मॉल का उद्घाटन करने की जल्दबाजी में कहीं और से लाकर ट्रांसप्लांट किया जाता है। मॉल में घुसते ही रजत सबसे पहले खाली नजर आने वाले मसाज चेयर पर बैठ जाता है और पूर्णिमा से कहता है, “जा सिमरन जी ले अपनी जिंदगी। तब तक मैं मालिश करवा रहा हूँ।“
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